श्रधांजलि देश के उन वीरो को जिन्होंने अपनी जान देकर हमे जिंदा रखा !!!
!!!!!!! हिम्मतेबाद्शाह !!!!!!!!!
अपनी माटी की खुशबु को
ना बिकने दिया ना ही मिटने दिया
दुश्मनों के नापाक मंसूबों को
हिन्दुस्तान की धरती पे ना टिकने दिया
देख पे जान न्योछावर करने
धरती माँ के एहसान को भरने
पहुँच गए सीमाओं पर
हमारी ज़िंदगी के लिए मरने
छोड़ गए तरसती माँ
इंतज़ार में पत्नी, बिलखते बच्चे
देश पे कुर्बानी के आगे
रिश्तो के धागे पड़ गए कच्चे
ऐसे है वह वीर हमारे सच्चे
ना ज़िंदगी से कुछ चाहा
ना दुश्मनों के आएग सर झुकाया
वतन पर कुर्बान इन वीरो ने
भारत माँ का क़र्ज़ चुकाया
एक लाश मेरे सिपाही की
लहराता हुआ तिरंगा हाथों में
वह भी किसी के अपने थे
पर ढूँढा ना दर्द रिश्ते नातों में
जिन्हें करना था वह कर गए
और हम उलझ गए सिर्फ़ बातों में
अब बारी है हमारी हमे क्या करना है
मरकर भी इन्हे यादों में जिंदा रखना है
इनकी कुर्बानी खाली ना जाए
कुछ ऐसा कर गुज़रना है
भारत के लिए जीना है
और सिर्फ़ इसी के लिए मरना है
सिर्फ़ और सिर्फ़ इसी के लिए मरना है
" ऐ मेरे वतन के लोगो
ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए है उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी
ज़रा याद करो कुर्बानी "
यह पंक्तियों मैंने कॉलेज के दिनों में लिखी थी मुझे उस वक्त भी अपने वतन से उतना ही प्रेम था जितना की आज ज्यादा कुछ कर नही पता हूँ अपने वतन के लिए पर कोशिश करता हूँ जो भी करूँ वह वतन के ख़िलाफ़ ना हो आज भी उन पलो को नही भूल पता हूँ जब इन पंक्तियों को पन्ने पे उतारा था, कितना भावयुक्त हो गया था मैं कुछ कर गुज़रना चाहता हूँ
-एन के जे
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Tuesday, May 27, 2008
Shradhanjali
श्रधांजलि देश के उन वीरो को जिन्होंने अपनी जान देकर हमे जिंदा रखा !!!
!!!!!!! हिम्मतेबाद्शाह !!!!!!!!!
अपनी माटी की खुशबु को
ना बिकने दिया ना ही मिटने दिया
दुश्मनों के नापाक मंसूबों को
हिन्दुस्तान की धरती पे ना टिकने दिया
देख पे जान न्योछावर करने
धरती माँ के एहसान को भरने
पहुँच गए सीमाओं पर
हमारी ज़िंदगी के लिए मरने
छोड़ गए तरसती माँ
इंतज़ार में पत्नी, बिलखते बच्चे
देश पे कुर्बानी के आगे
रिश्तो के धागे पड़ गए कच्चे
ऐसे है वह वीर हमारे सच्चे
ना ज़िंदगी से कुछ चाहा
ना दुश्मनों के आएग सर झुकाया
वतन पर कुर्बान इन वीरो ने
भारत माँ का क़र्ज़ चुकाया
एक लाश मेरे सिपाही की
लहराता हुआ तिरंगा हाथों में
वह भी किसी के अपने थे
पर ढूँढा ना दर्द रिश्ते नातों में
जिन्हें करना था वह कर गए
और हम उलझ गए सिर्फ़ बातों में
अब बारी है हमारी हमे क्या करना है
मरकर भी इन्हे यादों में जिंदा रखना है
इनकी कुर्बानी खाली ना जाए
कुछ ऐसा कर गुज़रना है
भारत के लिए जीना है
और सिर्फ़ इसी के लिए मरना है
सिर्फ़ और सिर्फ़ इसी के लिए मरना है
" ऐ मेरे वतन के लोगो
ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए है उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी
ज़रा याद करो कुर्बानी "
यह पंक्तियों मैंने कॉलेज के दिनों में लिखी थी मुझे उस वक्त भी अपने वतन से उतना ही प्रेम था जितना की आज ज्यादा कुछ कर नही पता हूँ अपने वतन के लिए पर कोशिश करता हूँ जो भी करूँ वह वतन के ख़िलाफ़ ना हो आज भी उन पलो को नही भूल पता हूँ जब इन पंक्तियों को पन्ने पे उतारा था, कितना भावयुक्त हो गया था मैं कुछ कर गुज़रना चाहता हूँ
-एन के जे
!!!!!!! हिम्मतेबाद्शाह !!!!!!!!!
अपनी माटी की खुशबु को
ना बिकने दिया ना ही मिटने दिया
दुश्मनों के नापाक मंसूबों को
हिन्दुस्तान की धरती पे ना टिकने दिया
देख पे जान न्योछावर करने
धरती माँ के एहसान को भरने
पहुँच गए सीमाओं पर
हमारी ज़िंदगी के लिए मरने
छोड़ गए तरसती माँ
इंतज़ार में पत्नी, बिलखते बच्चे
देश पे कुर्बानी के आगे
रिश्तो के धागे पड़ गए कच्चे
ऐसे है वह वीर हमारे सच्चे
ना ज़िंदगी से कुछ चाहा
ना दुश्मनों के आएग सर झुकाया
वतन पर कुर्बान इन वीरो ने
भारत माँ का क़र्ज़ चुकाया
एक लाश मेरे सिपाही की
लहराता हुआ तिरंगा हाथों में
वह भी किसी के अपने थे
पर ढूँढा ना दर्द रिश्ते नातों में
जिन्हें करना था वह कर गए
और हम उलझ गए सिर्फ़ बातों में
अब बारी है हमारी हमे क्या करना है
मरकर भी इन्हे यादों में जिंदा रखना है
इनकी कुर्बानी खाली ना जाए
कुछ ऐसा कर गुज़रना है
भारत के लिए जीना है
और सिर्फ़ इसी के लिए मरना है
सिर्फ़ और सिर्फ़ इसी के लिए मरना है
" ऐ मेरे वतन के लोगो
ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए है उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी
ज़रा याद करो कुर्बानी "
यह पंक्तियों मैंने कॉलेज के दिनों में लिखी थी मुझे उस वक्त भी अपने वतन से उतना ही प्रेम था जितना की आज ज्यादा कुछ कर नही पता हूँ अपने वतन के लिए पर कोशिश करता हूँ जो भी करूँ वह वतन के ख़िलाफ़ ना हो आज भी उन पलो को नही भूल पता हूँ जब इन पंक्तियों को पन्ने पे उतारा था, कितना भावयुक्त हो गया था मैं कुछ कर गुज़रना चाहता हूँ
-एन के जे
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